Tarun tejpal issue
तेजपाल मामले में मीडिया अपना भड़ास निकाल रही है. जो पत्रकार अपने क्रिएशन औोर मेहनत से. रिस्क से पत्रकारिता में एक महानायक बना उसको नीचा दिखाने के लिए पपलू पत्रकार अपने मीडिया संस्थान का ५० हज़ार का कोट पैंट पहन के. सौ ग्राम फेस क्रीम लगाके खुद महानायक बनना चाह रहे हैं उन्हे अपने गिरेवान में झाँक के देखना चाहिए औोर अपनी रास लीला का अवलोकन करना चाहिए..कुल मिलाकर ऐसी दोगली मीडिया औोर निकम्मी मीडिया समाज के लिए खतरनाक है.. संजय तिवारी उजाला
No comments:
Post a Comment