Thursday 12 December 2013

मानवाधिकार आयोग माहिला आयोग. पिछड़ा आयोग. आदिवासी आयोग.अल्प संख्यक आयोग. प्रेस कौंसिल. सहित इस तरह के सरकारी खर्च पर जितने भी आयोग चल रहे हैं.. इनको तुरंत बंद कर देना चाहिए. क्योकि इन आयोगों को सिर्फ नोटिस जारी करने औोर आलोचना करने का अधिकार है. इनको कोई न्यायिक अधिकार नहीं प्राप्त है. न ये किसी को जैल भेज सकते हैं न ही कोई वारंट ज़ारी कर सकते हैं न ही पीड़ित पक्छ को कोई ठोस न्याय या रहत दे सकते हैं. इन आयोगो पर सालाना करोडो रुपये खर्च होते हैं. औोर नतीज़ा कुछ भी नहीं.. इन आयोगों को स्वतंत्र पुलिस कम जांच एजेंसी बना देना चाहिए जो बिना किसी आदेश के भ्रस्ट बाबुओं. पुलिस. औोर नेतावों. पत्रकारों. जजों की हर दिन धरपकड़ ईमानदारी से करने के लिए बाध्य हों. थानो औोर जांच एजेंसियों में मुक़दमे दर्ज़ हों औोर जांच इनको मिले. संजय तिवारी उजाला
Dec 1· Seen 12/1/13

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