Tuesday, 17 December 2013
Pradhanmantree ji
अबतो आपको अपनी ही ज़ान बचानी मुश्किल है प्रधान मंत्री जी हमारी जान माल का क्या होगा हे भगवान !. मुझे 15 अगस्त को आपकी बहोत याद आ रही थी इतनी याद आ रही मंत्री जी... लेकिन आपका लालकिले की प्राचीर पर झंडा फहराने का वहा पर आने का कोई समय ही नहीं तय था मै जानता हूँ आतंक बादियो के डर से अबतो अपने ही देश में अपने ही घर में अपना ही गुजारा नहीं है मगर क्या करें कोई औोर सहारा नहीं है. लोग सरकार को प्रशासन को हिजड़ा बता रहे हैं प्रधान मंत्री जी. गधे लड्डू खा रहे हैं प्रधान मंत्री जी घोड़े चने भी नहीं पा रहे हैं प्रधान मंत्री जी. . संजय तिवारी उजाला
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