बचपन में मेरे गाँव में 5 - 6 तगड़े कुत्ते थे। उन की आपस में ज़बरदस्त दुश्मनी थी। सब एक दूसरे के खून के प्यासे। लेकिन जब कई सालों बाद मैं गांव गया तो देखा वो कुत्ते एक दूसरे को चाट रहे थे, साथ में अठखेलियां कर रहे थे।
एक बुजुर्ग से जब इस बारे में बात की तो बुजुर्ग ने बड़ा ही मज़ेदार ज़वाब दिया। उन्होंने कहा, "गली के कुते, जवानी के दिनों में भले ही एक दूसरे के कट्टर शत्रु हों, किन्तु बुढ़ापे में दाद - खुजली से ग्रस्त बेदम और बेकार होते ही वे दोस्त बनकर एक दूसरे के सारे ज़ख्म चाटने लगते हैं।"
नोट: इस कहानी का लालू, नितीश, मुलायम, शरद यादव या देवगौड़ा आदि से कोई संबंध नही है पर फिर भी आप जोड़ना चाहें तो मेरी तरफ से पूर्ण स्वतंत्रता है।
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